Sunday, June 28, 2020

बहार बन के जाऊंगा

वीरान  बन के आया था , बहार  बन के जाऊंगा 
आज की महफ़िल में प्यार की शमा जला जाऊंगा ,
वीरान  बन के आया था , बहार  बन के जाऊंगा 
इन पलो में कुछ गम भी मिले 
उस गम को भुला जाऊंगा 
इस मंदिर से सिर्फ खुशियों को ले जाऊंगा ,
कुछ दोस्त मिल गए थे 
कुछ यूं ही रूठ गए थे 
उनके दिल में जगह बना कर जाऊंगा 
उन्हें दिल में बसा के ले जाऊंगा 
वीरान  बन के आया था , बहार  बन के जाऊंगा 
जाते- जाते इस विद्या मंदिर के भगवान को 
दिल में सजा के ले जाऊंगा ,
भगवान के दिल में जगह बनाकर जाऊंगा 
जा रहा हूँ मंदिर को छोड़ ,दिल में रुदन हो रही हैं 
क्या करू मेरी मंजिल मुझे आवाज़ दे रही हैं 
मंजिल को जो न पा सका ,जीवन अधूरा रह जाएगा 
मेरा हर ख्वाब बिखर जाएगा 
छोड़ता हूँ इस मंदिर को 
करता हूँ नमन इसको 
वीरान  बन के आया था , बहार  बन के जाऊंगा 
अंत में करुँगा गुरुवों से प्रार्थना 
ऊपर वाले से करे वे हम सब की भी प्रार्थना 
वीरान  बन के आया था , बहार  बन के जाऊंगा 
आज की महफ़िल में प्यार की शमा जला जाऊंगा ,

.................................................................................अभय मिश्र "आज़ाद "




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